बुधवार, 1 जून 2016

आ जाओ !

मैं सीप तुम बूँद स्वाति की ,मैं दीपक तुम बाती
आ जाओ मेरे सिक्त जीवन में जैसे नदिया बलखाती ॥
तुम्हे चाहूंगा और रखूँगा हरदम दिल के पास ।
नाम तुम्हारा रटती रहेगी आती जाती साँस ।
तुम नयनों के आगे रहती हरदम ही मुस्काती ।
मैं सीप तुम बूँद स्वाति की , मैं दीपक तुम बाती ॥
रंग भरेगी जीवन में तुम्हारी मधुर मुस्कान ।
ओ प्राणेश्वरी दे दो मुझे ये प्रेम - दान ॥
मेरे प्रेम की मधुर चाँदनी में तुम ले अंगडाई नहाती ।
मैं सीप तुम बूँद स्वाति की मैं दीपक तुम बाती ॥
आ जाओ मेरे सिक्त जीवन में जैसे नदिया बलखाती॥

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें