सोमवार, 12 दिसंबर 2016

एहसास पहले प्‍यार का

क्‍या भूल सकता है कोई
एहसास वह पहले प्‍यार का ।
वह हंस के मिलना और फिर रूठ जाना ,
अन्‍दाज मेरे मनुहार का ।

क्‍या भूल सकता है कोई
एहसास वह पहले प्‍यार का।

नजरें मिलाना फिर शरमा जाना ,
तेरे हृदय में धीरे-धीरे खिलना मेरे प्‍यार का ।
पहले हां ,फिर ना-ना , फिर हां - हां ,
वह हसीन शाम इकरार का ।

क्‍या भूल सकता है कोई
एहसास वह पहले प्‍यार का।

राहें तकना  तारे गिनना ,
वह पल छिन इन्‍तजार का ।
दबे पांव आकर चुपके से ,
अधरों पर झुकना मेरे यार का ।

क्‍या भूल सकता है कोई
एहसास वह पहले प्‍यार का।

वह कसमें वह वादे तेरे ,
रचना एक संसार का ।
मेरे और तुम्‍हारे बीच प्रिये,
गिरना हर दीवार का ।

क्‍या भूल सकता है कोई
एहसास वह पहले प्‍यार का।

वह तेरी वादा खिलाफी ,
टूटना हृदय के तार का ।
कतरा कतरा रिसते रिसते ,
चुकना तेरे प्‍यार का ।

क्‍या भूल सकता है कोई
एहसास वह पहले प्‍यार का।


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