वह शब्द,
जो तेरे हृदय की
सुर्ख सलाखों को तोड़कर
तेरे होठों के दरवाजे से बाहर ,
निकलने को फडफडाते हैं ।
परन्तु जिन्हें तू
मर्यादायों की
लाल सींखचों से
दाग देती है।
मैं उन्हें तेरी
आँखों की ,
सपनीली ,
पुतलियों में पढ़कर,
जान लेता हूँ ।
वह एहसास जिसमे पर्बतों
को हिलाने की ताक़त है ।
वह नशा जिसमें
दुनिया से लड़ने की हिम्मत है।
वह जिसे तुझे
बार-बार ताकने की आदत है ।
हाँ यह एहसास
और कुछ नहीं
बस तेरी मुहब्बत है।
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