गुरुवार, 6 नवंबर 2014

तू प्रकट हुई

जीवन के प्रभात में जब कोमल सी आहट हुई,
हृदय के रक्तिम पट पर प्रियतमा तू प्रकट हुई।
प्रेम की आस में जब आँखें मेरी तरस गयी,
मन की सूखी रेत पे सजनी बन बादल तू बरस गयी। ।
तुम मैं,मैं तुम हुए ,जीवन साहित्य में उलट पुलट हुई,
जीवन के प्रभात में जब कोमल सी आहट हुई । ।
नैन मेरे ,नैनों से तेरे जाकर ऐसे उलझ गए ,
हर गाँठ खुल गयी जीवन की ,किस्से सारे सुलझ गए ,
आलिंगन में बंधकर जब तू अधरों के निकट हुई,
जीवन के प्रभात में जब कोमल सी आहट हुई । ।

रविवार, 7 सितंबर 2014

मेरा हृदय कमल मुस्काया

चन्द्र सी मुख छवि तेरी मदभरी कंचन काया ।
इस यौवन सरिता में मैं प्यास बुझाने आया॥
अधरों को अधरों पर रखूँ बाहुपाश में नवनीत वदन,
जलूं और जलाऊं , यौवन जल से बुझाऊं अगन ।
चंचलता ने पवन हाय मुझे बहकाया ।
इस यौवन सरिता में मैं प्यास बुझाने आया ॥
तुम मुझको और मैं तुमको दूँ नख क्षत ।
केश तुम्हारे बिखर रहे वस्त्र हो रहे क्षत-विक्षत ।
हे सुमुखी आज मेरा ह्रदय कमल मुस्काया ।
इस यौवन सरिता में मैं मैं प्यास बुझाने आया ॥

गुरुवार, 12 जून 2014

वह शब्‍द



वह शब्द,
जो तेरे हृदय की
सुर्ख सलाखों को तोड़कर
तेरे होठों के दरवाजे से बाहर ,
निकलने को फडफडाते हैं ।
परन्तु जिन्हें तू
मर्यादायों की
लाल सींखचों से
दाग देती है।
मैं उन्हें तेरी
आँखों की ,
सपनीली ,
पुतलियों में पढ़कर,
जान लेता हूँ ।
वह एहसास जिसमे पर्बतों
को हिलाने की ताक़त है ।
वह नशा जिसमें
दुनिया से लड़ने की हिम्मत है।
वह जिसे तुझे
बार-बार ताकने की आदत है ।
हाँ यह एहसास
और कुछ नहीं
बस तेरी मुहब्बत है।