रविवार, 21 जून 2015

तेरे लिए !

मेरे नयनों में सपनों का महल तेरे लिए है,
प्रेम का यह खिलता हुआ कमल तेरे लिए है ,
हृदय में जन्मे हैं कुछ भावः कोमल से,
मेरा हर शब्द , गीत व गजल तेरे लिए है।

हृदयवाटिका का प्रेम पाटल तेरे लिए है,
मन का ये रक्तिम पुष्प दल तेरे लिए है,
हृदय को हर घडी तेरे दर्शन की आस रहती है,
मन में कुछ ऐसा ही उद्वेग आजकल तेरे लिए है।

मुख पर ये अवसाद का बादल तेरे लिए है,
मन आज अधिकाधिक चंचल तेरे लिए है,
बिन तेरे जीवन की कल्पना अब व्यर्थ है,

मूढ़ हृदय मेरा सनम ,पागल तेरे लिए है।

शनिवार, 17 जनवरी 2015

सखी रे

सखी रे, मोहे पिया मिलन की आस,
पिया- पिया की रटन लगाती आती- जाती साँस।
सखी रे मोहे पिया मिलन की आस।
निर्मोही बालम है रे हमको छोड़ गए अकेली,
दिन भी सूना-सूना लागे रतिया भाई उदास।
सखी रे मोहे पिया मिलन की आस।
प्रेम अगन में जलती हूँ मैं विरहन बिचारी ,
मन में विरहा की अग्नि है ,तन में लगी है प्यास।
सखी रे मोहे पिया मिलन की आस।
मन हुआ पागल बेचारा,सुध ना रही मुझे तन की,
भटक रही हूँ प्रेमगली में जैसे जीवित लाश।
सखी रे मोहे पिया मिलन की आस।
प्रिया मिलन को निश-दिन करती हूँ प्रयास,
काश जो होते पंख हमारे उड़ जाती उसके पास।