जीवन के प्रभात में जब कोमल सी आहट हुई,
हृदय के रक्तिम पट पर प्रियतमा तू प्रकट हुई।
प्रेम की आस में जब आँखें मेरी तरस गयी,
मन की सूखी रेत पे सजनी बन बादल तू बरस गयी। ।
तुम मैं,मैं तुम हुए ,जीवन साहित्य में उलट पुलट हुई,
जीवन के प्रभात में जब कोमल सी आहट हुई । ।
नैन मेरे ,नैनों से तेरे जाकर ऐसे उलझ गए ,
हर गाँठ खुल गयी जीवन की ,किस्से सारे सुलझ गए ,
आलिंगन में बंधकर जब तू अधरों के निकट हुई,
जीवन के प्रभात में जब कोमल सी आहट हुई । ।